Wednesday, January 16, 2013

मन की बड़बड़ाहट

आज सुबह पांच बजे ही आँख खुल गई और बिस्तर छोड़ दिया लग रहा था कि चार बजे होंगे पहले भी आँख खुलती थी पर अँधेरा देख कर लेटी रहती थी, आज सोचा कि पजल हल कर लूँ रुबिक वाली .हल करनी शुरू की तो मन में बड़बड़ाहट हो रही थी, हमेशा ही होती है. आज सोचा कि उसे कापी पर उतार दूँ .
सबसे पहले ख्याल आया कि पापाजी से कल शाम बात कर ली है उन्होंने बताया कि छोटा भाई आ चुका है दिल्ली शिलौंग से सो उसे फोन करना है.
बड़े भैया से भी कहूंगी कि हर संडे स्काईप पर आया करें , डाउन लोड तो कर लिया पर दिखते कभी नही.
छोटी बहिन के ब्लाग पर तो कल कमेन्ट लिख दिए थे ,अब अपना ब्लॉग डालना है ताकि वह भी कमेंट्स लिख सके.छोटा करके पब्लिश करूंगी, कल कितनी बार कोशिश की पर गड़बड़ हो रहा था .बेटा आएगा तो उससे पूछूंगी फोन पर क्या पूछ्ना ,ऐसी कोई बड़ी समस्या तो है नही .
इन्हें शेयर मार्किट में फिर से लॉस हो गया ,मुझे तो लगता है कि बंद ही कर देना चाहिए .
सबसे छोटे भाई को भी फोन करना है कल शाम भाभी से बात हुई थी कि स्काईप डाऊनलोड कर लें अब तक कर लिया होगा .
सबसे छोटी बहिन से भी बात हुई है पच्चीस को ,अब दो को अनन्या के बर्थडे पर विश करना है,तभी फिर से बात हो जायेगी .
आज अपनी साड़ी लेने बूटिक जाना है दूसरी देनी है तभी उससे पूछूंगी कि अपने बाल खुले कैसे रखूं बिना कटवाए, लम्बे होजाने से उड़ते रहते हैं.वहाँ पर पार्लर भी तो है न.
छोटी बेटी से आज बात होने की उम्मीद है ,पता चलेगा कि कल उसकी खुराना फैमिली से बात हुई कि नही .खाने के लिये क्या इंतजाम है .स्काईप ऑन करेगी तो घर के फोटो भी देख लेंगे, कल तो काम कर नही रहा था.
बड़ी बेटी से कल फोन पर एक सौ चौतीस की बात कर ली थी सोचा ही नही कि उससे कहूँ कि स्काईप ऑन कर ले उनका स्काईप ऑन होता है पर वे देखते ही नही कि हम बुला रहें हैं सो एस एम एस करके या फोन करके मैसेज देना होगा.
बेटे ओर बहू से आज दिन में बात होने के चांस हैं ,पूरा हफ्ता भर वैसे तो उनके टच में ही रहे.पर सोचती हूँ कि खा -मखाह ही रहे,वे अपनी लाइफ में मस्त हैं उन्हें मस्त ही रहने देना चाहिये .शनि ,इतवार को तो बात हो ही जाती है.
अब कल बेटे का स्काईप ऑन देखकर मैसेज लिख दिया ,उसने चेक ही नही किया तो शाम तक सोचती रही कि चक्कर क्या है, ऐसा भी क्या व्यस्त है .ख़ैर शाम सात के करीब बात हो गई ,बताया कि कल से ही ऑन रह गया था उसने देखा ही नही ,जरा सी बात थी और मै दिन भर सोचती रही सो इस चक्कर में ही क्यों पड़ना .हर इतवार को तो वह फोन करता ही है .
आज नाश्ते में तो फिर मेथी के पराठें बनेगें ही,दलिया आज भी नही बनाऊंगी .गजरैला तो है न अभी.सेवई पड़ी हैं फुलियाँ पड़ी है, मैकरोनी पड़ी हैं,पोहा पड़ा है ,छ्वारे, खजूर ,गज्जक और हेल्दी बिस्किट्स और तमाम तरह के खाद्य पदार्थ पड़े हैं.रोज के खाने में उनकी जगह कहाँ बनाऊं, तय करना है.
पहला नाश्ता तो दूध का ही होता है दूसरा इन सबका .मेरा मतलब है कि इन सब से किसी एक चीज का जैसे सेवई,या मैकरोनी या पोहा या उपमा या इडली या डोसा या बेसन का चीला ,कुछ भी डिफरेंट बनाना शुरु करूं .दूध में अभी तो गाजर डाल रही हूँ .मीठे के लिये गुड़ या खजूर डाल सकती हूँ.
पेट के दाहिने और कुछ फीलिंग सी हो रही है ,पता नही पथरी है कि क्या है. अक्सर कुछ महसूस होता है पर कोई तकलीफ तो है नही.
दो मिनट के लिये बड़बड़ाहट बंद हो गई थी पर फिरसे शुरू हो गई.बौद्धटेम्पल जाना है आज भी जा सकते हैं, नही तो कल सही ,वहाँ से घंटी लानी हैं ओम की . एक साथ चार लाने का विचार है एक तो भाभीजी को गिफ्ट करनी है, दूसरी छोटे भाई को ,तीसरी पापाजी को कर सकती हूँ लेकिन अगर मैं दे भी दूँ तो उसका करेंगे क्या, उम्मीद तो नही कि उससे ओम की ध्वनि निकालें .शोपीस की तरह पड़ी रहेगी फिर किसी को गिफ्ट दे सकते हैं. तो तीसरी मेरे पास भी रह सकती है. चौथी फिर जिसका भी नाम लिखा हो , उस तक पहुंच ही जायेगी .घर में गिफ्ट पड़े रहने चाहियें .
पड़ोस के घर में भी तो जाना है कुछ गिफ्ट लेकर ,उनका नया घर देखना है घर तो पुराना है पर उसका कायाकल्प करके नया बना दिया है उन्होंने ,उनसे अपने घर की सीलन का उपाय भी पूछना है .
पड़ोसन के घर भी जाना है,उन्हें कह भी चुके हैं कि संडे को आयेंगे ,उन्हें फोन के पचास रुपये देने हैं. पांच मिनट से मन चुप है अब लिखा हुआ पढ़ कर देखती हूँ ,फिर पजल हल करना शुरू कर दूँगी छह बजने को हैं ,दोनों गीजर भी ऑन करने हैं.

3 comments:

  1. सुबह सुबह जब मन का यह हाल है तो...लेकिन सच में, बहुत आनंद आया पढ़कर..रोचक पोस्ट!

    ReplyDelete