Friday, July 18, 2025

R.I. — The Play of Real Intelligence

 R.I. — The Play of Real Intelligence


Sometimes, events in life unfold so smoothly and timely that it feels as though an invisible force has already planned everything for us in advance. I call it R.I., or Real Intelligence—that Supreme Power which sees everything, hears everything, and sends help at exactly the right time.


Last month, my house help went on leave. I was just wondering how the household work would continue, when suddenly an old maid—who had worked for me long ago—came by, asking for work. Without much thought, I hired her, and everything continued smoothly.


A month later, when the first maid returned, something remarkable happened—the maid who had been helping me in her absence sprained her foot and had to stop coming. I didn’t have to dismiss anyone, nor hurt anyone’s feelings.


It felt as though some higher power was already writing the pages of my life—who would come, who would leave, and how every need would be fulfilled.


This wasn’t a coincidence—it was the plan of R.I.

The very Real Intelligence we often overlook is always active with us—silent, calm, yet unfailing.

Friday, September 20, 2019

अद्भुत स्वप्न


आज तो सुबह  का ध्यान नोट करने वाला है ,एक घंटा 5 से 6  बिस्तर पर बैठ कर ध्यान  करने के बाद जब लेट कर  योग निंद्रा में गई तो  अजब सा एक्सपीरियंस हुआ ,शब्द में बताना मुश्किल है ,धीरे धीरे गोल चक्कर काटना शरू किया ,गौतम साथ था ,एक ,फिर दो ,तीन और फिर ऐसे तेज घूमने लगी जैसे लट्टू घूमता  है और फिर रुकना शुरू हुआ धीरे धीरे आहिस्ता हुई ,लगा कि नीचे खाली ठंडे फर्श पर हूँ और गौतम की जगह ये खड़े थे पास में पर जब आँख खुली तो बिस्तर पर ही थी अगर इसे सपना कहें तो निराला था सपना या कहूँ... अद्भुत था. 

Tuesday, September 3, 2019

स्वप्न

रात बहुत ही अलग  तरह का सपना आया ,किसी मन्दिर में गयी हूँ सिर को जमीन से छुआते हुए अंदर जाना  होता है,अंदर कोई लेडी दिखी फिर छोटा बच्चा दिखा ,फिर आगे दूसरे कमरे में कोई देवी जिसके सामने मेरे अंदर से अजीब सी आवाज निकली तो उसने कहा ....इतना गुस्सा ,इतना जबर्दस्त गुस्सा भरा हुआ है अंदर ,तो मैने कहा ...मुझे तो नही लगता कि मेरे अंदर गुस्सा भरा हुआ है,पर दूसरे ही सही जज कर सकते हैं ,मै क्यों मानने लगी और  आँख खुल गयी.सिर का तालू के ऊपर वाला हिस्सा काफी भारी लग रहा था जैसे कमलदल खुलने वाला हो एक अच्छी सी फीलिंग होने लगी और फिर से नींद आ गयी.इसके पहले के सपने में  तेज लाईट दिखी थी.

Thursday, August 22, 2019

बेफिक्र जिन्दगी

जब कोई सुविधासम्पन बीमार  होता है तो यही कहते हैं फ़िक्र न करों ,स्ट्रेस न लो . पर स्ट्रेस है क्या ये तो पता चले ,फ़िक्र है किस बात की ये तो पता चले ,कोई फ़िक्र नही ,कोई स्ट्रेस नही.
असल में बीमारी की वजह ही यही है कि कोई फ़िक्र नही कोई स्ट्रेस नही ,क्योंकि जीवन आरामतलब हो गया है जब बिना हिले डुले सब काम हो रहे हैं  तो कोई क्यों कुछ करने की जहमत उठाये.
चलना बंद हो गया है ,क्योंकि जब बिना चले काम हो सकते हैं तो चले क्यों .पर अब पैरों को चलने की फ़िक्र करनी होगी .
खाने में हाथों  को रूटीन परांठा बनाना छोड़ कर कुछ नया बनाने का स्ट्रेस लेना होगा .
सॉफ्ट सॉफ्ट  निगलने का आनन्द बहुत ले लिया ,दांतों को कुछ हरा  भरा चबाने का एगज्र्शन लेना होगा.
पास के आई पैड ,लेपटॉप से नजरें हटाकर दूर आकाश की तरफ देखना होगा ,जहाँ घने बादल भी है और चाँद ,सितारे भी..
कानों को टीवी सीरियल की चालबाजियों को सुनने से हटकर पक्षियों की चहचहाहट सुननी होगी ,कुछ तो स्ट्रेस  लो जीवन में ,कुछ तो फ़िक्र करो.
पहले ये सब करना टाइम वेस्ट लगता था पर होस्पिटल  के चक्कर जब लगाने पड़े तो पता चला कि टाइम वेस्ट तो अब हुआ है.

Saturday, August 17, 2019

संघर्ष


दुनिया में मुसीबतें कम नही हैं ,
जन्म से बुढ़ापे तक संघर्ष जारी रहता है .
पर कुछ संघर्ष नेचुरल होते हैं ,
जैसे कि जन्म लेते ही बच्चे का संघर्ष शुरू हो जाता है .
और एक दिन वो बैठना,चलना , बोलना सीख ही लेता है .
पर फिर शुरू होता है संघर्ष अपनों से जो मना करते हैं बार बार ,
इसे मत छूओ ,इसे मत खाओ,वहाँ मत जाओ,रोक ,रोक और रोक .
आजादी ही नही है अपनी मर्जी से कुछ करने की.
कुछ रोक तो लगानी ही पड़ती है बच्चे की सेफ्टी के लिए  पर कुछ इस लिए लगाते हैं कि उसे अच्छी तरह पता चल जाये कि वो हमारे कंट्रोल में है ,उसकी मन मर्जी नही चलेगी ,असल में हम अपनी सेफ्टी के लिए कंट्रोल करते हैं .उसकी ज्यादा आजादी हमारे लिए खतरा हो सकती है.
कुछ बच्चे विद्रोह करते हैं कुछ दब जाते हैं ,और कुछ ...लेखक ,कवि बन जाते हैं.

Sunday, August 4, 2019

आत्मविश्वास


आज भी पांच बजे ही उठी,जागरण देखा.
गाल पर एक लकीर दिखी,लगता है झुर्रियों की शुरुआत हो रही है.
आज एडको लेडीज़ क्लब की तरफ से 'आत्मविश्वास कैसे बढायें ; विषय पर लेक्चर था .पौने दस से पौने बारह दो घंटों के लिये शामिल हुई.काफी के साथ नाश्ता भी किया.लेक्चर बढ़िया था.टोटल सात प्वाइंट थे.
पहले बताया कि आमतौर पर व्यक्ति सत्तर साल जीता है ,यानि 24,500 दिन और हम सब यहाँ लगभग पैंतीस के हो चुके हैं.तो अभी दिन बचे हैं 12000 के आसपास ,इसलिये दिन बेकार मत करो.
इन्हें जियो.
द्रष्टिकोण बदलो.
आदमी जैसा सोचता है वैसा ही हो जाता है .
अपने लिये पोजिटिव सोचो,पोजिटिव हो जाओगे .
जो कुछ भी तुम्हे मिला है ,ये तुम्हारा ही किया धरा है,अच्छा हो या बुरा हो.
किसी दूसरे का कोई दोष नही है अपने लिये तुम खुद ही जिम्मेदार हो.
मैं उनके लेक्चर से प्रभावित हुई और  पास जाकर थैंक्यू कहा.लेक्चर इंग्लिश में था ,इंग्लिश में ही उन्हें बताया  कि अभी- अभी ही इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स किया है और बोलने की कोशिश कर रही हूँ.उन्होंने खुशी दिखाई कि मैने जल्दी सीख लिया.वहाँ कुछ नई लेडीज से भी मुलाकात हुई -किट्टी,सिंधिया,नादिया,मेरिना और जीना.मेरिना ने खुद परिचय दिया और फोन न० दिया ,मेरा फोन न० लिया जीना से मिलवाया.इंग्लिश क्लास की  वायलेट और अनीसा से भी मुलाकात हुई हिन्द भी दिखी थी.बढ़िया अनुभव रहा मीटिंग में शामिल होना.

Wednesday, July 31, 2019

नई द्रष्टि नई राह


सुबह से ही मैं बहुत स्वस्थ महसूस कर रही हूँ ,हालाँकि आसपास नजर डालूं तो परफेक्ट कुछ नही दिख रहा जैसे कि पर्दे मैले हैं,फिटिंग भी सही नही है तो कहीं लगे ही नही हैं अभी तक.
 बेडशीट भी बदलनी चाहिए  ,अलमारी सही करनी है यानि सफाई वर्क जो कभी खत्म नही होता.
किचन में भी काफी कुछ करना है पर फिर भी मन है कि हल्का सा है ,तन है कि फूल सा है बजाय इसके कि बालों में सीवन सफेद होती जा रही है ,मेहंदी लगाने का टाइम आ गया है ,बायीं तरफ का मसूढ़ा अजीब सा हो गया है ,पर फिर भी अंदर से मै एनरजेटिक महसूस कर रही हूँ.

नई द्रष्टि के  सत्संग का ये तो असर हुआ है कि जब भी लिखते ,पढ़ते कुछ भी करते थकावट  लगने लगती है तो एकदम से ख्याल आता है कि मुझे कुछ चाहिए ही नही तो कुछ भी करना कैसा ,मै तो मुक्त हूँ,गीता को चाहिए तो करे और थके ,बस तभी मै फ्री हो जाती हूँ और थकावट ,कन्फ्यूजन सब दूर हो जाता है. 
शायद इसी को मोक्ष कहते हैं.