ईश्वर निराकार है पर उसकी समझ हमें आकार से ही मिलती है.आकाश निराकार है पर उस पर सूरज चाँद सितारे बादल अपने अपने आकार में नजर आतें हैं.उससे ही हमें निराकार का बोध होता है.
उसी तरह उस निराकार आकाश में निराकार चेतन शक्ति भी है.उसी चेतन शक्ति से तो सूरज चाँद सितारे बादल टिके हुए हैं.वही चेतन शक्ति वही आकाश हमारे भीतर और बाहर है. गुब्बारे से गैस निकल जाये तो वह उड़ नहीं सकता ,इसी तरह हमारे भीतर के आकाश से भी अगर चेतन शक्ति निकल जाये तो हम निर्जीव हो जाते हैं.
ध्यान में हम उसी चेतन शक्ति को महसूस करतें है,जो हमारे सिर से लेकर पैर के अंगूठे तक फैली हुई है.उसको महसूस करते करते हम उस सम्पूर्ण चेतन शक्ति से जुड़ने लग जाते हैं जो हमारे बाहर भी है और हम सबके भीतर भी है