मुंबई दर्शन के समय सोहनी और उसका हमसफर जुहू बीच गये थे , बैंच पर बैठकर ऊपर और ऊपर उठती हुई लहरों को देखने लगे जो कि आसपास के लोगों को भिगो रही थीं अपनी बौछारों से.वे जरा सी दूरी पर थे, दो विदेशी पर्यटक फोटोग्राफी कर रहे थे .उन्हे समुन्दर के नजदीक जाकर फोटो शूट करने की कोशिश करते हुए देखा तो सोहनी ने कहा कि अभी पानी की लहर आयेगी और इन्हें पूरा नहला देगी .इतना कहना भर था कि ऐसी जोरदार लहर उठी कि बैंच तक आकर उन दोनों को नहलाते हुए वापिस चली गई ,लहरों की इस शरारत पर वे खिलखिला उठे तो दोनों पर्यटकों का ध्यान उनकी तरफ गया और वे पास आकर बोले- क्या वे उनके साथ अपनी फोटो शूट कर सकते हैं साथ ही कहा कि फोटो बन जाने पर वे उसकी एक -एक कापी उनके पते पर पोस्ट भी कर देंगे. सोहनी लोग भला क्यों मना करते, बिना कोशिश उन्हें एक यादगार मिलने जा रही थी. उन पर्यटकों ने फौरन उनकी फोटो ली और वायदे के मुताबिक उनके अहमदाबाद के पते पर पोस्ट भी कर दीं .वे दो फोटो भीगे हुए बालों और कपड़ों वाली उनकी पहली रंगीन फोटो थी जो अभी तक सोहनी ने सम्भाल कर रखी है.
Tuesday, June 19, 2012
Friday, June 8, 2012
ऐसा भी होता है -पार्ट २
जब भी सोहनी बच्चों का चकरी वाला झूला देखती है तो याद आ जाते हैं उसे वो पल जब वह भी बच्चों को लेकर झूले में बैठी थी और सबसे ऊंचाई पर पहुँच कर झूला रुक गया था, कुछ खराबी आ गई थी उसमे ,गोदी में दो साल का बेटा और साथ में दो नन्ही बेटियाँ .दिल धड़कने लगा ,कहीं कोई बच्चा हाथ की पकड़ से छूट न जाये .जल्दी ही खराबी ठीक कर ली गई और वे सब नीचे आ गये.साँस में साँस आई. पर वह दिन और आज का दिन... अभी तक उसने हिम्मत नही की कि फिर कभी उस तरह के झूले का आनंद लिया जाये. पर दोनों बेटियों पर असर ये हुआ कि उन्हें जरा भी डर नही लगता ऊंचाई से. बंगी जम्पिंग हो या रॉक क्लाईमिंग ,सब करने को तैयार रहती हैं वे दोनों.
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