Saturday, August 21, 2010

मेरी मंजिल

जिनको भी हम 'महान ' हैं ऐसा कहते,उन सबने बहुत से कष्ट हैं झेले 

चाहे वो हों राम,कृष्ण या गाँधी ,सीता या फिर मीरा 

तो फिर मैं क्या बनना चाहूँ ?क्या हो मेरी मंजिल?

कोई भी मंजिल पाकर क्या होगा ,



1 comment:

  1. वे सभी आनंद में थे, कष्ट उन्हें कष्ट नही लगते थे, वे तो लीला कर रहे थे, मस्त होना ही उनकी मंजिल थी वही क्या हमारी....भी नही हो सकती?

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