Sunday, August 29, 2010

हम मानें अपनी बात

हमें पार्लर जाना चाहिये या नहीं.हमें सबके सामने डांस करना चाहिये या नहीं .हमें फैशैनब्ल कपड़े पहनने चाहिए या नहीं.इस तरह की कितनी ही  बातें हैंजिन पर बहस की जा सकती है.दोनों पक्ष अपनी अपनी बात को सही सिद्ध कर सकतें हैं.तो फिर किसकी बात मानें.

हम अपनीबात मानें.हमारे लिये क्या ठीक है,वो हम ही फैसला ले सकतें हैं.

क्या कृष्ण या राम या महवीर या बुद्ध  सब एक  जैसे थे.राम तो गोपियाँ के साथ नाच नहीं सकते,न  ही बांसुरी बजा  सकते हैं.बुद्ध  तो हथियार नहीं चलाते  थे.महावीर तो कपड़े तक नहीं पहनते थे.तो तुम किस की नक़ल करोगे.हम हम हैं .जैसे राम राम थे,कृष्ण कृष्ण थे बुद्ध  बुद्ध  थे.उसी तरह हमारे सारे  डिसीजन हमारी अपनी प्रकति के अनुसार ही होंगे.हमारे लिए जो सहज है,हमे वही करना  है.जो हम नहीं हैं वो बनने की कोशिश फालतू है.

Tuesday, August 24, 2010

मंजिल

कोई भी मंजिल पाकर क्या होगा ,यह जग तो जैसा है ,वैसा ही होगा .

ऊँचा पर्वत होना हो तो खाई भी तो किसी को होना होगा.

मीठे के साथ नमकीन को तो  भी रखना होगा.

जब तक मूरख न हों तो कोई बुद्धिमान कैसे कहलायेगा .

हर  आने वाला पल मेरी मंजिल है.

मै जैसी हूं वैस ही भली हूं.मुझे और नहीं कुछ होना है.




Saturday, August 21, 2010

मेरी मंजिल

जिनको भी हम 'महान ' हैं ऐसा कहते,उन सबने बहुत से कष्ट हैं झेले 

चाहे वो हों राम,कृष्ण या गाँधी ,सीता या फिर मीरा 

तो फिर मैं क्या बनना चाहूँ ?क्या हो मेरी मंजिल?

कोई भी मंजिल पाकर क्या होगा ,



Monday, August 16, 2010

अन्याय

राम के साथ अन्याय हुआ ,कृष्ण के साथ अन्याय हुआ, गाँधी के साथ अन्याय हुआ ,मोहम्मद और ईसा  के साथ भी. पर इसी ने तो उन्हे राम, कृष्ण, गाँधी ,मोहम्मद, ईसा बनाया.