Sunday, January 29, 2012

सोहनी के बचपन के याद रह गए पल.-भाग (२)


बचपन का नाम-महंतनी ,गोल-मटोल शांत स्वभाव की थी इसलिये उसके मौसा -मौसी उसे मह्न्तनी कहते थे .
पहला डर -हाथ का नाखून काटते समय जरा सा खून निकल आया तो सोहनी ने डर कर मुठ्ठी भींच ली और काफी देर तक नही खोली.
पहला अप्रेल फूल -सोहनी के भैया बगीचे में मिट्टी खोद रहे थे उसने पूछा कि क्या कर रहे हैं तो जवाब मिला कि अप्रेलफूल बना रहा हूँ.सोहनी कई दिन तक इन्तजार ही करती रही कि कब अप्रेल फूल निकलेगा.
पहली कट्टी और अब्बा-सोहनी का जबर्दस्त झगड़ा हो गया अपनी पक्की सहेली से ,कानी (छोटी)ऊँगली मिलाकर कट्टी कर ली,मतलब बोलचाल बंद.फिर उसीपल ख्याल आया कि कल उसका जन्मदिन है तो उसी समय अंगूठे के साथ वाली ऊँगली मिलाकर अब्बा कर ली और जन्मदिन में आने का निमंत्रण दे दिया.
पहला जन्मदिन -आमों की बहार से मना.मम्मी ने गली से आम लिए पच्चीस पैसे के पच्चीस और पापाजी भी टूर से आते हुए पचास पैसे के पचास आम लेते हुए आगये .सहेली भी आम ही लेकर आयी थी.
पहला जुर्माना-सहेली की स्लेटी सोहनी से टूट गई उसने साबुत स्लेटी लौटने को कहा,अगले दिन लाकर दी और बदले में टूटी स्लेटी भी नही ली.
पहली शापिंग -स्कूल के बाहर के ठेलेवाले से इंटरवल में दस पैसे देकर पापिंस ली उसने कहा की बारह पैसे की है कल दो पैसे और दे देना.अगले दिन उसे दो पैसे दिए तो उसने हैरानी दिखाई .
पहला नाटक -सोहनी के पापाजी सोने से पहले बच्चों को कहानी सुनाया करते थे, कुल छह  भाई -बहिन थे .दूसरा नम्बर उसका था जरूरी बात है कि गोदी में आने का मौका तो सबसे छोटे बच्चे को ही मिलेगा तो वह सोने का नाटक करती ताकि गोदी में उठाकर बिस्तर तक ले जाया जाय.
पहली जिद -सोहनी को सर्कस देखने नही ले जा रहे थे कारण कि वह वहाँ रोयेगी , तो उसने जवाब दिया धीरे - धीरे रो लूँगी.
पहला मेकअप -सोहनी  की मम्मी मेकअप नही करती थीं उसने चाचीजी का मेकअप बाक्स देखा तो उसमे से पाउडर निकाल कर चुपके से लगाया.

2 comments:

  1. वाह ! सोहनी का बचपन तो बहुत प्यारा था...अप्रैल फूल और सोने का नाटक, दो पैसे और धीरे धीरे रोना...बचपन कितना निर्दोष होता है, बहुत रोचक पोस्ट !

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  2. बहुत सुन्दर सार्थक रचना। धन्यवाद।

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