Wednesday, July 31, 2019

नई द्रष्टि नई राह


सुबह से ही मैं बहुत स्वस्थ महसूस कर रही हूँ ,हालाँकि आसपास नजर डालूं तो परफेक्ट कुछ नही दिख रहा जैसे कि पर्दे मैले हैं,फिटिंग भी सही नही है तो कहीं लगे ही नही हैं अभी तक.
 बेडशीट भी बदलनी चाहिए  ,अलमारी सही करनी है यानि सफाई वर्क जो कभी खत्म नही होता.
किचन में भी काफी कुछ करना है पर फिर भी मन है कि हल्का सा है ,तन है कि फूल सा है बजाय इसके कि बालों में सीवन सफेद होती जा रही है ,मेहंदी लगाने का टाइम आ गया है ,बायीं तरफ का मसूढ़ा अजीब सा हो गया है ,पर फिर भी अंदर से मै एनरजेटिक महसूस कर रही हूँ.

नई द्रष्टि के  सत्संग का ये तो असर हुआ है कि जब भी लिखते ,पढ़ते कुछ भी करते थकावट  लगने लगती है तो एकदम से ख्याल आता है कि मुझे कुछ चाहिए ही नही तो कुछ भी करना कैसा ,मै तो मुक्त हूँ,गीता को चाहिए तो करे और थके ,बस तभी मै फ्री हो जाती हूँ और थकावट ,कन्फ्यूजन सब दूर हो जाता है. 
शायद इसी को मोक्ष कहते हैं.

1 comment:

  1. सारा राजकाज चलाते हुए राजा जनक भी ऐसा ही अनुभव करते होंगे, इसीलिए उन्हें भी जीवनमुक्त कहा जाता है

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