दुनिया में मुसीबतें कम नही हैं ,
जन्म से बुढ़ापे तक संघर्ष जारी रहता है .
पर कुछ संघर्ष नेचुरल होते हैं ,
जैसे कि जन्म लेते ही बच्चे का संघर्ष शुरू हो जाता है .
और एक दिन वो बैठना,चलना , बोलना सीख ही लेता है .
पर फिर शुरू होता है संघर्ष अपनों से जो मना करते हैं बार बार ,
इसे मत छूओ ,इसे मत खाओ,वहाँ मत जाओ,रोक ,रोक और रोक .
आजादी ही नही है अपनी मर्जी से कुछ करने की.
कुछ रोक तो लगानी ही पड़ती है बच्चे की सेफ्टी के लिए पर कुछ इस लिए लगाते हैं कि उसे अच्छी तरह पता चल जाये कि वो हमारे कंट्रोल में है ,उसकी मन मर्जी नही चलेगी ,असल में हम अपनी सेफ्टी के लिए कंट्रोल करते हैं .उसकी ज्यादा आजादी हमारे लिए खतरा हो सकती है.
कुछ बच्चे विद्रोह करते हैं कुछ दब जाते हैं ,और कुछ ...लेखक ,कवि बन जाते हैं.
वाह ! लेखक और कवि अपनी कल्पना में चाहे जहाँ जा सकते हैं..जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि..रोचक पोस्ट
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