Tuesday, April 5, 2011

जोश में होश न खोयें

क्या यह जरूरी है कि अपने को बड़ा दिखाने के लिये दूसरे को नीचा दिखाया ही जाये. मुझे बहुत बहुत खुशी हुई जब इंडिया ने क्रिकेट में श्री लंका पर जीत हासिल की.पर सब लोग यह भूल जाते हैं कि वह भी सेमीफायनल तक पहुँचा था.वह कोई दुश्मन नही था हमारा,न ही है,फिर लंकादहन जैसी बाते करके उसे दुश्मन क्यों बनाया जा रहा है,श्रीराम ने रावण का वध करने के बाद राज्य अपने भक्त विभीषण को सौंप दिया था.अगर अभी भी श्री लंका या रावण का नाश बाकी था तो श्री राम ने क्या किया था.इस लिये खेल में दूसरे प्रतिद्वंदी देशों को नीचा दिखाना बंद करें.

3 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखा है खेल को खेल ही रहने दे

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  2. आपने सही कहा है "खेल को खेल ही रहने दो जंग न बनाओ" लेकिन आज खेल के साथ जुड़ा है और भी बहुत कुछ, जब सचिन के शतक के लिये दो सौ करोड का सट्टा लग सकता है तो खेल भावना शुद्ध कहाँ तक रही ?

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