Wednesday, April 27, 2011

सत्य साईं राजू +भक्ति=भगवान श्री सत्य साईं बाबा

शून्य क्या है ,कुछ भी नही ,पर जिस अंक में लगा दो उसकी कीमत बढ़ जाती है ,एक की दस हो जाती है ,दो शून्य लगा दें तो सौ हो जाती है .जितने ज्यादा शून्य लगाएंगे कीमत बढ़ती ही जायेगी .उसी तरह भक्ति है ,अपनेआप में तो कुछ भी नही .अपने इष्टदेव का नाम जपें ,चाहे राम हो, कृष्ण हो या कुछ और .कीर्तन करें ताली बजायें,आखिर क्या है इसकी वैल्यू.
जब हम किसी भी काम को राम नाम से (अपने ईश्वर के नाम से )जोड़ देतें हैं ,मेरा मतलब है कि भक्ति से जोड़ देते हैं तो उसकी कीमत उसी हिसाब से बढ़ जाती है ,आप कर के देख लें.
हम कुछ भी करें और यह सोच कर करें कि ईश्वर के लिये कर रहें हैं तो वह काम अनायास ही हो जाता है ,नही भी होता तो भी हमे उसके फलित न होने की चिन्ता नही सताती सो अपने साथ राम को जोड़ो और अपनी कीमत बढाओ ,सत्य साईं बाबा के रूप में उदाहरण आप के सामने है .

1 comment:

  1. बहुत सुंदर और सार्थक पोस्ट ! वैसे भी हम जो कुछ भी करते हैं उसी की शक्ति से करते हैं पर जानते नहीं सो बिना वजह ही भार अपने ऊपर ले लेते हैं, हल्के रहेंगे अगर समर्पण कर देंगे....

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