अब मैं दुबई में थी और दुबई आने के दसवें महीने ही एक बेटी की माँ बन गई थी.पर माँ बनना कोई आसान बात नही रही, तबियत बिगड़ गई थी क्योंकि एक दिन कुछ ज्यादा ही पैदल घूमना हो गया. एमरजेंसी में हॉस्पिटल भागना पड़ा तीन दिन एडमिट रही .डॉक्टर ने बेड रेस्ट बता दिया. घर आने पर देखभाल कौन करता ,हमसफर की ड्यूटी तो समुन्द्र मे रिग पर होती थी एक हफ्ते के बाद एक हफ्ते के लिये घर आते थे .तबियत बिगड़ने पर इन्होने तय किया कि मै मायके मे रहूँ तो तीन महीनों के लिये इन्होने मुझे इंडिया मे छोड़ दिया .मेरे मम्मी पापा तो चाहते थे कि डिलीवरी वहीं हो पर मुझे इंडिया के हास्पिटल्स मे जाने मे हिचक होती थी ,दुबई के सरकारी अस्पताल मे एडमिट हो चुकी थी और अनुभव बहुत अच्छा रहा था बिल्कुल फ्री और बेहतर इलाज ,घरके किसी सदस्य को वहाँ रहने या खाना पहुँचाने की भी जरूरत नही.अच्छा खाना, साफ कपड़े ,फ्रेन्डली सिस्टर्स और क्या चाहिए. तो मै जिद करके सातवें महीने वापिस दुबई पहुँच गई.सही समय पर मैने एक बेटी को जन्म दिया.तीसरे दिन ये घर ले आये थे हमारे स्वागत के लिए बेडरूम सजा हुआ था मेरे बिस्तर पर सुंदर सी तीन डाल्स भी रखी हुई थीं ,जैसे इन्हें पता था कि मुझे और तीन बार माँ बनना है.या कि इस नन्ही सी जान के लिए तीन और साथी आने वाले हैं और आने वाले कुछ ही वर्षों में ऐसा हो भी गया.
मेरी सेहत परफेक्ट थी ,घर के नार्मल काम आते ही करने शुरू कर दिये . पर बच्चे को कैसे पालना है ये मुझे सिखाया एक पाकिस्तानी डाक्टर ने .हुआ यह कि पहले हफ्ते ही बेटी को फीवर हो गया डाक्टर के पास ले गई सबसे पहले उसने उसका कम्बल हटाने को कहा, बताया कि कम्बल की गर्मी तो उसे और ज्यादा परेशानी देगी. कैसे उसे एक पतली मलमल की चादर मे रैप करना है, करके सिखाया. उसकी नाल पक गई थी उसे जलाकर ठीक किया . दूध की बोतल को पानी मे कैसे उबाल कर साफ करना है बताया.मुझे तो मालूम ही नही था कि बोतल उबालनी भी होती है. पहली बात तो यही पूछी कि अभी से बोतल का दूध दे ही क्यों रही हूँ, मैने कहा कि क्योंकि मेरा दूध बहुत पतला पानी की तरह है तो एक बार तो सुनते ही डाक्टर को भी और सिस्टर को भी हंसी आ गई बोली कि क्या तुम गाय भैंस हो जो गाढ़ा दूध आएगा, अरे ,माँ का दूध पानी सा पतला ही होता है .बच्चे के हाजमे के लिए ऐसा ही दूध चाहिए,पूछा कि क्या मुझे घर मे कोई बताने वाला नही है तो मैने कहा कि मै तो अकेले ही रहती हूँ तो डाक्टर ने तसल्ली दी कि कोई बात नही जो भी पूछना हो उनसे पूछ सकती हूँ.ख़ैर जब तक बेटी दो महीने की हुई ,मेरी सासु माँ का वीसा भी लग गया और वह हमारे साथ रहने दुबई आ गयीं.
मेरी सेहत परफेक्ट थी ,घर के नार्मल काम आते ही करने शुरू कर दिये . पर बच्चे को कैसे पालना है ये मुझे सिखाया एक पाकिस्तानी डाक्टर ने .हुआ यह कि पहले हफ्ते ही बेटी को फीवर हो गया डाक्टर के पास ले गई सबसे पहले उसने उसका कम्बल हटाने को कहा, बताया कि कम्बल की गर्मी तो उसे और ज्यादा परेशानी देगी. कैसे उसे एक पतली मलमल की चादर मे रैप करना है, करके सिखाया. उसकी नाल पक गई थी उसे जलाकर ठीक किया . दूध की बोतल को पानी मे कैसे उबाल कर साफ करना है बताया.मुझे तो मालूम ही नही था कि बोतल उबालनी भी होती है. पहली बात तो यही पूछी कि अभी से बोतल का दूध दे ही क्यों रही हूँ, मैने कहा कि क्योंकि मेरा दूध बहुत पतला पानी की तरह है तो एक बार तो सुनते ही डाक्टर को भी और सिस्टर को भी हंसी आ गई बोली कि क्या तुम गाय भैंस हो जो गाढ़ा दूध आएगा, अरे ,माँ का दूध पानी सा पतला ही होता है .बच्चे के हाजमे के लिए ऐसा ही दूध चाहिए,पूछा कि क्या मुझे घर मे कोई बताने वाला नही है तो मैने कहा कि मै तो अकेले ही रहती हूँ तो डाक्टर ने तसल्ली दी कि कोई बात नही जो भी पूछना हो उनसे पूछ सकती हूँ.ख़ैर जब तक बेटी दो महीने की हुई ,मेरी सासु माँ का वीसा भी लग गया और वह हमारे साथ रहने दुबई आ गयीं.
बहुत ही रोचक अनुभव ! पहली बार माँ बनना सचमुच एक अद्भुत घटना है...
ReplyDeleteThis is a revealition of your personality. You have expressed truth about a girl who is single and living far away from parents and inlaws. your faith in doctor and God helped you to succeed in giving birth to a beautiful daughter. I am happy to read your story.
ReplyDeletePapa