शादी के बाद सोहनी पहली बार जब अहमदाबाद रहने गई ट्रेन से हमसफर के साथ तो उसी डिब्बे में एक ब्रह्म कुमारी भी थी. उन्होंने ध्यान की महिमा बताई थी कि किस तरह धीरे धीरे अभ्यास करते हुए लगातार तीन घंटे एक ही आसन में सीधे बैठना सम्भव हो जाता है.और उस समय ट्रेन में पढ़ने के लिये उसने प्लेटफार्म से किताब खरीदी तो वह ओशो की कोई किताब थी.
अब संयोग ऐसा हुआ है कि वे देहरादून में रहते हैं रिटायरमेंट के बाद तो उसके घर से कुछ ही दूरी पर ब्रह्मकुमारी और ओशो दोनों के आश्रम हैं और वे समय समय पर दोनों ही जगह जाते रहते हैं.
अब संयोग ऐसा हुआ है कि वे देहरादून में रहते हैं रिटायरमेंट के बाद तो उसके घर से कुछ ही दूरी पर ब्रह्मकुमारी और ओशो दोनों के आश्रम हैं और वे समय समय पर दोनों ही जगह जाते रहते हैं.
उस समय जो बीज बोया गया था अब वह वृक्ष बन गया है....प्रकृति हमारा सदा ही ख्याल रखती है.
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