सोहनी के बच्चे और भागमभाग डाक्टर के पास
बड़ी बेटी जब दो ढाई साल की थी तो उसका हाथ गर्म पानी से झुलस गया था.सुबह के समय नहाने के लिये पानी को पतीले में गर्म किया और बाल्टी के ठंडे पानी में मिक्स करने के लिये जैसे ही डालने लगी उसने अनजाने में हाथ आगे कर दिया .फौरन उसे लेकर उसके मामाजी के साथ डाक्टर के पास भागना पड़ा.
छोटी बेटी जब ग्यारह या बारह साल की थी तो रात सोने के समय उसकी आँख में कुछ चला गया , फौरन नूर होस्पिटल डाक्टर के पास भागना पड़ा.जो उसकी बिल्डिंग के पास ही था.स्वयं ही ले गई थी.
बड़ा बेटा अभी छह,सात महीने का ही था किअचानक उसने साँस रोक ली. शाम का समय था फौरन उसके नानाजी ने उसे इस तरह पकड़ा कि सिर नीचे की तरफ रहे और डाक्टर के पास भागे .डाक्टर उसी कम्पाउंड में ही था.इमरजेंसी सहायता मिल गई.बाद में सरकारी अस्पताल के काबिल डाक्टर से इलाज चला.नानाजी ने इलाज करवाया था.
छोटा बेटा दो साल का रहा होगा जब उसने नाक में मोती फंसा लिया ,प्राइवेट अस्पताल में ले गये .डाक्टर उसे अंदर ले गया हमारा जाना मना था वहाँ ,पांच दस मिनट में ले आया कि हमारे बस का नही है .फिर दूसरे क्लीनिक में ले गये वहाँ नम्बर ही नही आ रहा था फिर सरकारी अस्पताल ले गये वहाँ डाक्टर्स की मीटिंग चल रही थी पर इंतजार के सिवा हमारे पास कोई चारा ही नही था ,पन्द्रह बीस मिनट में सर्जन डाक्टर फ्री हुआ उसने उसको गोदी में लिया और हमारे सामने ही एक क्लिप जैसे औजार से सेकंड्स में मोती निकाल बाहर किया.हमारी जान में जान आयी.इस समय उसके छोटे ताऊजी साथ में थे.
उसे ही एक बार और इमरजेंसी में ले जाना पड़ा ,जब उसने चार साल की उमर में सीढ़ियों से कूद कर पैर के तलुवे में फ्रेक्चर कर लिया था.इस समय बड़े ताऊ जी साथ में थे.
बड़ी बेटी जब दो ढाई साल की थी तो उसका हाथ गर्म पानी से झुलस गया था.सुबह के समय नहाने के लिये पानी को पतीले में गर्म किया और बाल्टी के ठंडे पानी में मिक्स करने के लिये जैसे ही डालने लगी उसने अनजाने में हाथ आगे कर दिया .फौरन उसे लेकर उसके मामाजी के साथ डाक्टर के पास भागना पड़ा.
छोटी बेटी जब ग्यारह या बारह साल की थी तो रात सोने के समय उसकी आँख में कुछ चला गया , फौरन नूर होस्पिटल डाक्टर के पास भागना पड़ा.जो उसकी बिल्डिंग के पास ही था.स्वयं ही ले गई थी.
बड़ा बेटा अभी छह,सात महीने का ही था किअचानक उसने साँस रोक ली. शाम का समय था फौरन उसके नानाजी ने उसे इस तरह पकड़ा कि सिर नीचे की तरफ रहे और डाक्टर के पास भागे .डाक्टर उसी कम्पाउंड में ही था.इमरजेंसी सहायता मिल गई.बाद में सरकारी अस्पताल के काबिल डाक्टर से इलाज चला.नानाजी ने इलाज करवाया था.
छोटा बेटा दो साल का रहा होगा जब उसने नाक में मोती फंसा लिया ,प्राइवेट अस्पताल में ले गये .डाक्टर उसे अंदर ले गया हमारा जाना मना था वहाँ ,पांच दस मिनट में ले आया कि हमारे बस का नही है .फिर दूसरे क्लीनिक में ले गये वहाँ नम्बर ही नही आ रहा था फिर सरकारी अस्पताल ले गये वहाँ डाक्टर्स की मीटिंग चल रही थी पर इंतजार के सिवा हमारे पास कोई चारा ही नही था ,पन्द्रह बीस मिनट में सर्जन डाक्टर फ्री हुआ उसने उसको गोदी में लिया और हमारे सामने ही एक क्लिप जैसे औजार से सेकंड्स में मोती निकाल बाहर किया.हमारी जान में जान आयी.इस समय उसके छोटे ताऊजी साथ में थे.
उसे ही एक बार और इमरजेंसी में ले जाना पड़ा ,जब उसने चार साल की उमर में सीढ़ियों से कूद कर पैर के तलुवे में फ्रेक्चर कर लिया था.इस समय बड़े ताऊ जी साथ में थे.
नन्हें बच्चों को सही सलामत बड़ा करना एक माँ के लिये कितना बड़ा काम है, यह तो अच्छा है कि उस समय मामा, चाचा, ताया सब साथ में रहते थे, वक्त जरूरत पर काम आते थे. अब तो परिवार इतने छोटे होते हैं कि मौसी, बुआ, चाचा, मामा जैसे रिश्ते ही खोते जा रहे हैं...
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