स्वामी शिवानन्दजी की पुस्तक -मन- में पढ़ा कि वृत्तियाँ पांच तरह की होती हैं---
१ -मनोवृत्ति =आमलोगों में मनोवृत्ति का प्रभाव ज्यादा रहता है.मनोवृत्ति अन्नमयकोष से बनती है.कहते है न-कि जैसा खाए अन्न वैसा बने मन.जैसे कोई कहे कि अभी मेरा मन नहीं हो रहा इस काम को करने का ,तो ये तो हुआ उसकी मनोवृत्ति का काम .ऐसे लोगों को मूडी भी कहा जाता है.
२- बुद्धि वृत्ति =जोकि आमलोगों से ऊपर विवेकी मनुष्यों में होती है जोकि विज्ञानमय कोष से बनती है.और विज्ञान तर्क से बनता है.सो हम मनोवृत्ति से निकलने के लिये तर्क का सहारा लेते हैं.फिर हम मूड के हिसाब से काम नहीं करते,बुद्धि से काम लेते हैं.
३-सात्विक वृत्ति =बुद्धि से भी ऊपर उठ कर जब हम अपने साक्षी भाव में होते हैं ,देख रहे होते हैं कि आलस घेर रहा है और बुद्धि के कहने से आलस छोड़ दिया है.
४ -ब्रह्म वृत्ति =जब हम अपने को ब्रह्म रूप में देखने लगते हैं.
५ -ब्रह्मकाररस वृत्ति =जब हम अपने साथ साथ पूरे ब्रह्मांड को भी ब्रह्मरूप में देखने लगते हैं.फिर कैसा बंधन कैसी मुक्ति.वहाँ तक पहुंचना ही हमारा लक्ष्य है.
स्वामी शिवानन्द जी ने कितने सरल शब्दों में हमें मुक्ति का मार्ग समझाया है,उसे हम तक पहुँचाने के लिये आभार!
ReplyDeleteExcellent description
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