हर बात के पीछे कोई कारण होता है ,सो किसी को भी ये क्या कहना कि उसने ऐसा क्यों किया ?चाहे वह रावण हो या कंस,या हम और तुम .सभी के पास उनके कारण तो होंगें ही .या फिर हमे सबसे पहले उस कारण पर पहुंचना चाहिये जो प्रथम है.और उसके लिये तो ईश्वर ही जिम्मेदार है,उसी ने दुनिया बनाई.ईश्वर से सवाल नहीं किये जा सकते.उसकी तो लीला है न्यारी.उत्तर यही मिलता है आखिर कि अपने काम से काम रखो,तुम्हारा इतना ही रोल है बस.
मुझे तो लगता है कि अगर हर कोई अपने कर्मों के पीछे के कारण देख कर उन्हें सही कर ले तो दुनिया में कोई दुःख रह ही नहीं सकता, हम स्वयं ही कोई काम क्यों करते हैं, क्या आदत वश,लोभ वश या संस्कारों से प्रेरित होकर,स्वार्थ वश या परहित, हम भी तो नहीं जानते, तो अन्य भी ऐसे ही करते होंगे, एक नूर से ही सब बने हैं !
ReplyDelete