.....कोशिश चल रही है इस दृष्टिकोण पर जमे रहने की कि सब काम अपने आप ही होते हैं और हो रहे हैं , हम काम करते रहें जो भी हमारे हिस्से में पड़ते हैं ,ज्यादा प्लान बनाने की जरूरत नही है.प्लान तो अपनी इच्छाओ को पूरा करने के लिए बनाने पड़ते हैं ,इच्छाओं का क्या है बदलती रहती हैं,तो क्यों करें हम कोई इच्छा ,क्या बिना इच्छा के हम खुश नही रह सकते ,रह सकते है ,और ज्यादा खुश रह सकते हैं.
चाह मिटी चिंता गयी मनुआ बेपरवाह..
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