Saturday, January 29, 2011

शेष भाग---जो कुछयाद रह गया

ईश्वर हमे हर पल सहायता देने को तैयार है,सहायता दे ही रहा है,पर हम रिसेपटीव नही हैं,हमारी उसके साथ ट्यूनिंग नहीं है.
यहाँ तीन तरह के लोग हैं ,कुछ हैं मिस्टर नयन ,कुछ हैं मिस्टर कानपुर और कुछ हैं डाक्टर भावेश.यानि कुछ को ईश्वर के सन्देश साफ़ साफ़ दिखाई देते हैं जैसे कि उनके सामने चित्र बने हुए हों . वे हैं मिस्टर नयन .
कुछ को आवाजें आती हैं उससे उन्हें सन्देश सुनाई देने लगते हैं कि उनका आने वाला पल सुखद होगा कि दुखद.वे हैं मिस्टर कानपुर .
कुछ हैं जिन्हें अनुभूति होती है वायब्रेशन होती है वे हैं डाक्टर भावेश.
हमे जिंदगी में अक्सर न्यू टर्न लेते रहना चाहिये .न्यूटन ने गिरते हुए सेब को देख कर आकर्षण का सिद्धांत खोजा.इसी तरह हरेक के जीवन में नए विचार नई खोजें आ सकती हैं ,बशर्ते हम एक रूटीन की तरह जीना छोड़ें.हम अपने रोज के जीवन को जिस तरह से जीते आ रहें हैं,उसी तरह से जीने के बजाय नए नए प्रयोग करें.अपना खाना बनाने का ढंग बदलें ,अपने रहने सहने का स्टाइल बदलें .हर बात में न्यू टर्न लेते रहें ,नए नए आइडियाज को आने का मौका दें.
सबसे बड़ी बात हमेशा खुश रहें यानि जो कर हंस कर कर .हमे हमेशा ईश्वर से ट्यूनिंग बना कर रखनी है.ईश्वर कुछ कहता है पर हमने अपने अंदर के माइक पर इतनी पट्टियाँ लगाकर रखी हुई हैं कि उसमे से कोई आवाज नही सुनाई पडती ,तो हमे ऐसा गुरु चाहिये जो धीरे धीरे इन पट्टियों को खोले ताकि हम ईश्वर की आवाज सुन सकें
आपने पिक्चर्स में अक्सर देखा होगा कि माँ के पास से बेटा निकल जाता है पर उन्हें दिखता नही.हमे लगता है अजीब हैं देखते ही नहीं ,पिक्चर के एण्ड में जाकर मिलन हो पाता है,क्योंकि उनमे आपस में कोई ट्यूनिंग ही नही है.ट्यूनिंग होने पर हमे कुछ ऐसी वायब्रेशन मिलने लगती हैं कि हमे आगे आने वाली घटना का अंदाजा होने लगता है.
और बताया कि जिस तरह हम ट्यूशन लेते हैं इसी तरह हमे ईश्वर से इन्ट्यूशन मिलती है.उसके जरिये हमारा सही सही मार्गदर्शन होता है .इन् ट्यूशन को समझने के लिये हमे अपने को योग्य बनाना पड़ेगा.उसकेलिए हमे चाहिये कि जैसे ही फोन की घंटी बजे ,हम अनुमान लगायें कि किसका फोन हो सकता है.कोई पत्र आये तो हम अनुमान लगायें कि किसका पत्र हो सकता है.इसीतरह दरवाजे की घंटी बजे तो अंदाजा लगायें कि कौन होगा.सबसे पहला विचार जो आया है उसको पकड़ें,बाद में दूसरा तीसरा तो हमारा अपना विचार होगा .जो सबसे पहला नाम आया वह है इन्ट्यूशन.कभी गलत कभी ठीक हो सकती है पर धीरे धीरे हम इसको समझने में कुशल हो जायेंगे ,क्योंकि बाहर से हमे कोई कुछ नहीं बता रहा.हम जो स्वयं हैं भीतर वही सब कुछ जानता है और हमारा मार्गदर्शन करता रहता है लेकिन हम उसे भूल गए हैं और अपने शरीर को ही सब कुछ समझ लिया है.

1 comment:

  1. बहुत सुंदर और उपयोगी विचार !

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