जब वह दस.ग्यारह साल की थी तब उनके यहाँ बिजली का कनेक्शन लगा था .उससे पहले रोज अँधेरा होते ही लालटेन जलाये जाते थे .
पर उस समय उनके कमरे में पंखा नही था .इसलिये गर्मी के मौसम में सब आँगन में या छत पर चारपाई बिछाकर सोते थे, जब बहुत गर्मी लगती तो हवा को बुलाने के लिए इक्कीस पुर गिना करते जैसे सहारनपुर सीतापुर रामपुर ,इक्कीस पुरों के नाम याद करते करते कहीं से तो हवा का झोंका आ ही जाता था और तबतक हवा आये या न आये नींद तो आ ही जाती थी .
पर उस समय उनके कमरे में पंखा नही था .इसलिये गर्मी के मौसम में सब आँगन में या छत पर चारपाई बिछाकर सोते थे, जब बहुत गर्मी लगती तो हवा को बुलाने के लिए इक्कीस पुर गिना करते जैसे सहारनपुर सीतापुर रामपुर ,इक्कीस पुरों के नाम याद करते करते कहीं से तो हवा का झोंका आ ही जाता था और तबतक हवा आये या न आये नींद तो आ ही जाती थी .
वाह कितना सस्ता तरीका था और कितना मजेदार भी...दिमाग की कसरत अलग हो जाती होगी..बहुत रोचक पोस्ट!
ReplyDeleteslate sukhaane ke liye bhi to hava ko bulaati hogi Sohni.
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