जब सोहनी कि शादी हुई तो उसका सबसे छोटा भाई बारह साल का था.
एक दो महीने का ही था कि उसे तेज बुखार हुआ डाक्टर से दवा लेकर दी गयी और शायद दवा के बाद पानी पिलाने में देर कर दी, दवा इतनी तेज थी कि उसकी जीभ पक गयी अब तो दूध पीना भी मुश्किल हो गया .निशान अभी भी उसकी जीभ पर है .
जब भी बड़ा भैया गोदी में उसे खिलाता तो कहता था बड़े होकर कलेक्टर बनेगा न.
वह सबसे ज्यादा मस्तमौला था.पहली क्लास में फेल होने पर सबको खुशी से बताता रहा कि मै तो फेल हो गया.तब पापाजी ने ऑफिस से आकर रोज उसे पढ़ाना शुरू किया. और फिर तो बढ़िया नम्बर लाने लगा .
हर जरा जरा सी बात पर वह इतना उत्साहित और रोमांचित हो जाता था कि सोहनी कहती थी लगता है वह दुनिया में पहली बार आया है.
उसका पसंदीदा खेल था कीर्तन करना.गली मोहल्ले के उत्सवों में भी वह जोश से हिस्सा लेता था.
उसकी पहली पोस्टिंग बैंक की तरफ से घर से दूर पहाड़ों पर हुई.एक बार तो उसका मन हुआ कि जॉब छोड़ दे .पर पापाजी ने हौसला दिया कि हिम्मत से काम लो, जॉब आसानी से नही मिला करतीं
और वाकई उसने हिम्मत से काम लिया.अब तो ओशो का सन्यासी बन गया है.
पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं...यह कहावत कितनी सच है, बहुत रोचक पोस्ट !
ReplyDeleteaisa kya?
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