कुछ भी नही समाप्त होता बस रूप बदलता है .
पहले बच्चे बड़ों के हाथ पांव दबाते थे ,
अब वे उन्हें मसाज चेयर पर बैठा देते हैं .
पहले उनके लिए भोजन पकाते थे ,
अब आर्डर देकर बाहर से मंगाते हैं .
यानि बड़ों की सेवा पहले भी करते थे ,
अब भी करते हैं ,भावनायें वहीं हैं .
पर परिस्थिति ने रूप बदल दिया है.
बिल्कुल सही बात, समय के साथ अंदाज बदल जाता है, भावना वही रहती है।
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